2024 में इस दिन को मीराबाई की जयंती है, मीराबाई से जुड़े रोचक तथ्य, Meerabai Jayanti 2024

Meerabai Jayanti 2024
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Meerabai Jayanti 2024:- मीराबाई, जिन्हें राजस्थान की राजपूतानी शादी शुदा महिला के रूप में जाना जाता है, एक महान भक्ति संत थीं। उन्होंने अपने जीवन को भगवान कृष्ण के प्रति अनन्य भक्ति में समर्पित किया। उनकी कविताएँ और भजन अद्वितीय रूप से उनके ईश्वर प्रेम को व्यक्त करती हैं और उनके समय की सामाजिक समस्याओं पर उजागर करती हैं।

मीराबाई की जयंती 2024 में कब है

मीराबाई, भक्ति आंदोलन की एक प्रमुख संत और कवयित्री, का जन्म 1498 में मेड़ता, राजस्थान में हुआ था। उनके भक्ति गीत और कविताएं भगवान कृष्ण के प्रति उनके गहरे प्रेम और समर्पण को दर्शाती हैं। मीराबाई जयंती, उनके जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है, जो भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में एक महत्वपूर्ण दिन है। 2024 में मीराबाई जयंती का उत्सव 17 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

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मीराबाई का जीवन और भक्ति

मीराबाई का जीवन भगवान कृष्ण के प्रति उनकी अटूट भक्ति के लिए जाना जाता है। बचपन से ही, मीराबाई ने कृष्ण को अपना आराध्य मान लिया था। उनके विवाह के बाद भी, उनकी भक्ति में कोई कमी नहीं आई और उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी भगवान कृष्ण के चरणों में समर्पित कर दी। मीराबाई की भक्ति और उनके जीवन की घटनाएं आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं।

मीराबाई जयंती का महत्व

मीराबाई जयंती का महत्व केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी है। मीराबाई के भक्ति गीत और कविताएं भारतीय साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं। उनका भक्ति आंदोलन ने समाज में धार्मिक सहिष्णुता और एकता का संदेश दिया। इस दिन, उनके जीवन और कार्यों को स्मरण करने के साथ-साथ उनके द्वारा गाए गए भक्ति गीतों का आयोजन भी किया जाता है।

मीराबाई जयंती 2024 के उत्सव

मीराबाई जयंती 2024 को मनाने के लिए विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों में भजन संध्या, कीर्तन, और प्रवचन शामिल होंगे। मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की जाएगी और उनके जीवन पर आधारित नाटकों का मंचन भी किया जाएगा। इस दिन, भक्तगण मीराबाई के गीतों को गाकर और उनकी कहानियों को सुनकर उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करेंगे।

मीरा का विवाह कितने वर्ष की आयु में हुआ था?

मीराबाई का विवाह लगभग 13 वर्ष की आयु में हुआ था। उनका विवाह राणा सांगा के उत्तराधिकारी और मेवाड़ के राजकुमार भोजराज से हुआ था। विवाह के बावजूद, मीराबाई का भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति अटूट रही।

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