किसान को धोती में देख Mall में जाने से रोका, हैसियत पता चली, नप गया सारा सिस्टम | Bengaluru

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पैरों में चप्पल, कमर में धोती, माथे पर गमछा, और सफेद रंग का कुर्ता – इस पहनावे में ना तो कुछ अजीब है और ना कुछ चटपटा। फिर भी, एक बेहद अजीब और अफसोसजनक घटना हुई। बेंगलुरु के एक मॉल के बाहर एक बुजुर्ग किसान को सिर्फ इसलिए रोक दिया गया क्योंकि वह धोती पहनकर फिल्म देखने जा रहे थे।

परिधान से पहचान: भव्य शादियों में स्वागत, मॉल में अपमान

महंगी शादियों में जब लोग डिजाइनर धोती पहनकर आते हैं, तो उनका भव्य स्वागत होता है। लेकिन जब वही धोती एक साधारण किसान पहनकर मॉल में आता है, तो मॉल का महकमा घबरा जाता है। अचानक से ड्रेस कोड की दुहाई दी जाती है और सादगी वाली धोती में ऐब नजर आने लगते हैं। यह घटना बताती है कि समाज में कपड़ों से लोगों की हैसियत मापी जा रही है।

बेंगलुरु मॉल की घटना

16 जुलाई को बेंगलुरु के जीटी मॉल में यह घटना हुई। एक किसान अपने बेटे के साथ फिल्म देखने आया था, लेकिन सिक्योरिटी गार्ड ने उन्हें अंदर जाने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि पैंट शर्ट पहनकर आइए तभी एंट्री मिलेगी। बेटे ने काफी समझाने की कोशिश की लेकिन सिक्योरिटी गार्ड ने कोई बात नहीं सुनी। बुजुर्ग किसान घबरा गए और सोचने लगे कि हम कैसे समाज में रहते हैं जहां कपड़ों से लोगों की पहचान होती है।

सोशल मीडिया पर गुस्सा

बेटे ने इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया, जो वायरल हो गया। लोग बुजुर्ग के समर्थन में आए और मॉल प्रशासन की कड़ी आलोचना की। अगले दिन, कई किसान संगठनों ने मॉल के बाहर धोती पहनकर विरोध प्रदर्शन किया। मॉल प्रशासन ने बाद में किसान को मॉल में बुलाया, माफी मांगी, और सम्मानित किया।

सोच में बदलाव की जरूरत

यह घटना केवल एक मॉल की नहीं, बल्कि समाज की सोच की है। कपड़े देखकर हैसियत नापने की सोच बदलनी चाहिए। धोती, जो हमारी संस्कृति का हिस्सा रही है, उसका सम्मान होना चाहिए। इस घटना ने समाज के सामने यह सवाल खड़ा किया है कि परिधान से व्यक्ति की पहचान क्यों होती है?

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